हम सब हर वर्ष कामना करते है कि नव वर्ष में कुछ नया करे और यही संकल्प और संदेश के साथ इसकी शुरूयात भी करते है। लेकिन चंद दिनों के पश्चात संकल्प और संदेश का दोनों टाई-टाई फिस हो जाना एक आम बात है। इच्छा रहते हुए भी संकल्प में विकल्प का आ जाना और पिछले वर्ष के भाति दिनचर्या का न बदलना जारी रहता है। आखिर ऐसा क्यों है और इस कारण का निवारण क्या है?
हम सब मन के आदत के बारे में न ज्यादा जानते है और न ही जानने के लिए कोई विशेष प्रयास करते है। यही हम अज्ञानता बस उस आदत को एक दिन में बदल लेने की भूल करते है जिस आदत के बारे में हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने कहा है कि “लोहे की जंजीर को तोड़ना आसान लेकिन आदत को बदलना सबसे मुश्किल”? इस मुश्किल काम को आसान बनाने के लिए कठोउपनिषद में एक बहुत ही कारगर मंत्र है जिसको हमने जियो-जागो के वेबसाईट पर प्रथम बैनर मे उल्लेख किया है जिसका अर्थ है –“उठो , जागो और योजनाकार के संगत में बोध प्राप्त कर अपना लक्ष्य हासिल करो।“ यहाँ उठो का मतलब नींद से नहीं बल्कि मानव जीवन के परम लक्ष्य हेतु उठो। उस लक्ष्य को जानने और पूरा करने के लिए जागो मतलब ज्ञानार्जन में लग जाओ। बुद्धि को शुद्धि करते हुए विवेक जागृत करो और उस ज्ञानार्जन और विवेक हेतु योजनाकार के संगत के शरण में शामिल हो जाओ। इस मंत्र मे निहित तीनों बातों को जब क्रमबद्ध तरीके से अपनाएंगे तो आदत रूपी जंजीर को तोड़ना आसान हो जाएगा।
नव वर्ष के शुभ अवसर पर इसे और आसान बनाने और आप सभी के संकल्प शक्ति को और मजबूत करने के लिए एक और संकल्प सूत्र लिख रहा हूँ जिसे अमल मे लाकर जीवन के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर एक सफल कामयाब इंसान बनने का गौरव हासिल करे।
- सुबह जल्दी उठना
- खाने पीने पर नियंत्रण
- दिनभर प्रसन्नता पूर्वक परिश्रम करना
- धैर्य धारण करना
- कम एवं मतलब से बोलना
- दुष्ट एवं नकारात्मक व्यक्ति से दूर रहना
- पुण्य कार्य हेतु चिंतन मनन करना
- जीवन में समय सीमा है ये हमेशा याद रखना
- घृणा के बदले प्रेम करना